नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) को युद्ध के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव बताया है. उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन पारंपरिक युद्ध से हटकर आधुनिक, मल्टी-डोमेन, रणनीति का उदाहरण है, जिसमें तकनीक, साइबर ऑपरेशन और सूचना प्रबंधन ने बड़ी भूमिका निभाई है.
जनरल चौहान सिंगापुर में आयोजित शांग्री-ला डायलॉग में बोल रहे थे. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर 7 मई को पाकिस्तान (Pakistan) और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी शिविरों पर एयरस्ट्राइक के साथ शुरू हुआ था. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि इसमें साइबर, इंटेलिजेंस, और जानकारी को नियंत्रित करने जैसी कई पहलू शामिल थीं.
जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर नॉन-कॉन्टैक्ट और मल्टी-डोमेन था. यह केवल पारंपरिक सैन्य बल पर निर्भर नहीं था, बल्कि इसमें साइबर क्षमताएं, खुफिया जानकारी, फेक न्यूज को संभालना और थल, जल, वायु एवं साइबर डोमेन में तालमेल शामिल था. उन्होंने बताया कि आधुनिक युद्ध अब बड़े सैन्य प्लेटफॉर्म से हटकर लचीली और भ्रम पैदा करने वाली रणनीतियों की ओर बढ़ चुका है. युद्ध अब सीधे नहीं, बल्कि विकेन्द्रित नेटवर्क और गैर-रेखीय तरीकों से लड़े जाते हैं.
जनरल चौहान ( CDS Anil Chauhan) ने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लगभग 15% संसाधन और प्रयास फर्जी खबरों और भ्रामक प्रचार को नियंत्रित करने में खर्च हुए. उन्होंने कहा कि फेक न्यूज से लड़ना निरंतर प्रयास था. हमने प्रतिक्रियाशील नहीं बल्कि मापा-तौला संवाद अपनाया, ताकि ऑपरेशन के दौरान जनमत को सही तरीके से दिशा दी जा सके. इसके लिए उन्होंने एक उदाहरण भी साझा किया और कहा कि ऑपरेशन के शुरुआती तीन दिनों में दो महिला अधिकारी मीडिया से संवाद कर रही थीं, क्योंकि वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व सीधे ऑपरेशन में व्यस्त था. 10 मई के बाद डीजीएमओ ने मीडिया को ब्रीफ किया.
जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत पर साइबर हमले हुए, लेकिन सैन्य प्रणालियों पर इसका असर नगण्य रहा. उन्होंने कहा कि हमारी सैन्य प्रणालियां ‘एयर-गैप्ड’ हैं यानी इंटरनेट से जुड़ी नहीं हैं, जिससे ये काफी हद तक सुरक्षित रहती हैं. सार्वजनिक वेबसाइट्स जैसे स्कूल आदि पर हमले हुए,लेकिन ऑपरेशनल सिस्टम प्रभावित नहीं हुए.
जनरल चौहान ने बताया कि अब आधुनिक युद्ध में सफलता का सबसे बड़ा आधार है रियल-टाइम नेटवर्किंग और सभी डोमेन का एकीकरण. उन्होंने कहा कि सिर्फ अच्छी तकनीक होना काफी नहीं है, जब तक वो आपस में जुड़ी न हो. पूरी ताकत तभी सामने आती है जब सिस्टम एक-दूसरे से जुड़े हों और रियल-टाइम में काम करें. सीडीएस ने कहा कि अब युद्ध रेखीय (Linear) नहीं रहे. अब शक्ति का उपयोग गैर-रेखीय और वितरित नेटवर्क के जरिए होता है. आज का युद्ध समय, स्थान, रणनीति और तकनीक के बीच जटिल समायोजन बन चुका है. आश्चर्य से ज्यादा अब ‘धोखे’ की रणनीति प्रभावी होती जा रही है, उन्होंने कहा कि जनरल चौहान ने कहा कि ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) और यूटीएपी (UTAPs – Unmanned Teaming Aerial Platforms) जैसी नई क्षमताओं के लिए विशेष इकाइयों की आवश्यकता होगी.
उन्होंने कहा, “हमें ड्रोन, EW और अन्य तकनीकी इकाइयों के लिए अलग संगठन बनाने होंगे. सैन्य संरचना और ट्रेनिंग में भी सुधार जरूरी है. उन्होंने यह भी बताया कि भारत अब ‘जॉइंट ऑपरेशंस’ और ‘लीन एंड फ्लेक्सिबल स्ट्रक्चर’ की ओर बढ़ रहा है. पहली बार, तीनों सेनाओं के 40 अधिकारियों के लिए एक संयुक्त स्टाफ कोर्स शुरू किया गया है, जिसमें वे पूरे साल एकसाथ प्रशिक्षण ले रहे हैं – जो कि एक बड़ी संरचनात्मक बदलाव की ओर इशारा करता है.