Asaduddin Owaisi: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान को सबक सिखाया. जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को दुनियाभर में बेनकाब करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को कई देशों में भेजा गया था. जब यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भारत लौटा तो प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर सदस्यों से मुलाकात की. जहां सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के चेहरों में शशि थरूर से लेकर सुप्रिया सुले, सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी तक मौजूद रहे, लेकिन सभी की निगाहें असदुद्दीन ओवैसी को तलाश रही थीं.
दरअसल, सांसद असदुद्दीन ओवैसी पहलगाम हमले के बाद से ऑपरेशन सिंदूर तक केंद्र की मोदी सरकार के साथ कदमताल कर रहे थे. जहां उन्होंने इस्लामिक देशों में जाकर पाकिस्तान के आंतकी चेहरे को दुनिया के सामने उजागर किया, लेकिन वह मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी की डिनर पार्टी में शामिल नहीं हुए. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि ओवैसी संयोगवश प्रधानमंत्री मोदी की डिनर पार्टी में शामिल नहीं हुए या फिर किसी सियासी मजबूरी के चलते दूरी बनाए रखी.
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख दुनियाभर को बताकर स्वदेश लौटे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आवास पर डिनर पार्टी दी थी,जहां पर उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाकात की और उनका फीडबैक लिया. इस बैठक में ओवैसी नजर नहीं आए.जिसको लेकर उन्होंने खुद ही इस बात का खुलासा किया.
असदुद्दीन ओवैसी ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि मैं देश से बाहर हूं.एक मेडिकल इमरजेंसी के कारण मुझे दुबई जाना पड़ा. ओवैसी ने बताया कि उनके बचपन के दोस्त की अचानक तबीयत खराब होने के कारण उन्हें दुबई जाना पड़ा. जिसको लेकर उन्होंने आगे बताया कि इस बारे में ऑपरेशन सिंदूर वाले अपने प्रतिनिधिमंडल के नेता बैजयंत पांडा को भी उन्होंने देश से बाहर होने की जानकारी दे दी थी. ऐसे में ओवैसी ने भले ही पीएम मोदी की डिनर पार्टी में शामिल होने की वजह बता दी हो, लेकिन सवाल यह है कि उनका दुबई जाना संयोग है या फिर सियासी प्रयोग.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ओवैसी को नरेंद्र मोदी की नीतियों का विरोध करते हुए देखा जाता है. ऐसे में उनकी पूरी राजनीति मुस्लिम वोटों और नरेंद्र मोदी के विरोध पर टिकी हुई है.ऐसे में ओवैसी ने खुद पर प्रधानमंत्री मोदी की दावत में शामिल होकर किसी तरह का कोई राजनीतिक खतरा मोल लेना सही नहीं समझा, क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक तस्वीर सामने आने के बाद वो विपक्षी दलों के ही निशाने पर आ जाएंगे.
ऐसा पहले भी हो चुका है, जब महाराष्ट्र के मालेगांव के बुनकरों के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से ओवैसी की मुलाकात हुई थी, तो उस वक्त उनको बहुत टारगेट किया गया था. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी अपनी नाराजगी जताई थी. अब जब बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर है और मुस्लिम समुदाय के बीच पहले से ही ओवैसी को लेकर संदेह जताया जाता रहा है. ऐसे में वह प्रधानमंत्री मोदी की बैठक में शामिल होकर मुस्लिम समाज के शक को और गहरा नहीं करना चाहते थे. माना जाता है कि इसी वजह से ओवैसी ने पीएम मोदी के दावत के दिन ही भारत में रहने के बजाए दुबई में रहना बेहतर समझा.