Iran-Israel War: इन दिनों ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष के बीच अब पूरी दुनिया की नजर ईरान की तरफ है. क्योंकि ईरान खुद को मुस्लिम दुनिया का नेता बताने में जुटा है, जबकि ईरान के दुश्मन यानी इजराइल की सेना में उसी मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में न सिर्फ शामिल हो रहे हैं, बल्कि ईरान के समर्थक आतंकी संगठन के खिलाफ मोर्चा भी संभाले हुए हैं. हैरानी वाली बात यह है कि इजराइल की सेना इजराइली डिफेंस फोर्स यानी IDF में अब सैकड़ों मुस्लिम, अरब और खासतौर पर बेदुइन समुदाय के युवा, अपनी मर्जी से भर्ती हो रहे हैं.
दरअसल, 7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इजराइल पर हमला बोला था,तब एक अरब बेदुइन कमांडर IDF की अगुवाई करता हुआ मोर्चे पर पहुंचा, जो कि कई लोगों के लिए चौंकाने वाली बात थी, लेकिन यह कोई इकलौता मामला नहीं है. साल 2020 में 606 अरब मुस्लिम युवा IDF में भर्ती हुए, जबकि 2019 में ये संख्या 489 थी और 2018 में 436 थी. इसमें बड़ी बात ये कि इनमें से ज्यादातर को सीधे कॉम्बैट यूनिट्स में शामिल किया गया.
बता दें कि बेदुइन एक घुमंतू मुस्लिम अरब समुदाय है,जो अब दक्षिण इजराइल के नेगेव रेगिस्तान में रहता है.इतिहास में ये लोग सऊदी अरब से लेकर सिनाई तक अपने मवेशियों के साथ घूमा करते थे.जब इजराइल की स्थापना हुई तो उसके बाद कई बेदुइनों ने यहूदी बस्तियों को बसा पाने में मदद की. साथ ही अरब-इजराइल युद्ध के दौरान खुफिया जानकारी भी मुहैया कराई. वहीं 1950 के दशक में इजराइल की सरकार ने उन्हें नागरिकता दी और स्थायी बस्तियां भी बसाईं.यही कारण है कि आज देश में करीब 2.1 लाख बेदुइन रहते हैं.
साल 2003 में इजराइल ने पहली बार बेदुइन सर्च और रेस्क्यू यूनिट बनाई थी, जिसके बाद से लगातार इनकी मौजूदगी बढ़ी है. वहीं 2018 में बेदुइन रेकनैसन्स यूनिट में सिर्फ 84 सिपाही थे, जो 2020 तक बढ़कर 171 हो गए. साल 2021 में 600 बेदुइन युवा IDF में शामिल हुए. इजराइल के अनुसार हर साल करीब 450 बेदुइन IDF में वॉलंटियर बनते हैं. जो खासतौर पर गाजा,इजिप्ट और इजराइल के बॉर्डर वाले संवेदनशील इलाके में तैनात किए जाते हैं. बड़ी बात ये है कि इस यूनिट में करीब 40 फीसदी सैनिक गैर-बेदुइन मुस्लिम, ईसाई और सर्कैसियन समुदाय से भी हैं.
अब IDF में शामिल मुस्लिम और अरब सिपाही इजराइल की सैन्य रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं. नेतन्याहू भले ही सख्त राष्ट्रवादी नेता माने जाते हों, लेकिन उनकी सेना में मुस्लिम कमांडर आज ईरान समर्थक गुटों को जवाब देने में सबसे आगे हैं. एक दौर था जब 2013 तक साल में मुश्किल से 10 अरब युवा सेना में भर्ती होते थे, लेकिन अब ये संख्या सैकड़ों में पहुंच गई है.