Iran-Israel War: ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष लगातार जारी है। इसी बीच अब इस युद्ध में अमेरिका की भी एंट्री हो गई है। अमेरिका ने जहां ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर न सिर्फ हमला किया, बल्कि उसे तबाह करने का दावा भी किया। वहीं अब ईरान समर्थित संगठन हिजबुल्लाह ने अमेरिका के हमले के बाद जंग में कूदने से इनकार कर दिया है। हालांकि हमास ने अमेरिकी हमले को ईरानी संप्रभुता का खतरनाक उल्लंघन भी बताया है।
इसके साथ ही फिलिस्तीन के कई संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी IAEA द्वारा निगरानी की जा रही ईरानी परमाणु ठिकानों पर किए गए अमेरिकी हमलों की निंदा भी की है। इन गुटों ने हमलों को ईरानी संप्रभुता का उल्लंघन और इजरायली कब्जे की सेवा में अमेरिकी साम्राज्यवाद का एक स्पष्ट विस्तार बताया। रविवार को हमास की ओर से जारी बयान में अमेरिकी हमलों को आक्रामकता का एक स्पष्ट कृत्य बताया।
वहीं दूसरी ओर, हिजबुल्लाह के प्रवक्ता ने समाचार पत्रिका न्यूजवीक को बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से ईरानी परमाणु ठिकानों के खिलाफ अमेरिकी हमलों का आदेश दिए जाने के बाद ईरान से जुड़े लेबनानी आतंकवादी संगठन के पास इजरायल और अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।
न्यूजवीक को दिए गए अपने मैसेज में हिजबुल्लाह की तरफ से कहा गया, “ईरान एक मजबूत देश है और वह खुद का बचाव करने में सक्षम भी है, तर्क यही है कि वह अमेरिका और इजरायल का सामना कर सकता है.” उन्होंने कहा कि हिजबुल्लाह सीजफायर के बाद से सहमत सभी मामलों के लिए प्रतिबद्ध है।
दरअसल, हिजबुल्लाह ने नवंबर 2024 में इजरायल के साथ सीजफायर को लेकर समझौता किया था। यह समझौता फिलिस्तीन के हमास की ओर से इजरायल के खिलाफ किए गए एक अप्रत्याशित हमले के ठीक एक साल बाद गाजा क्षेत्र में खूनी संघर्ष को खत्म करने के लिए हो गया था। तेज हो गया था और ईरान समर्थित यह संगठन भी इजराइल के खिलाफ जंग के मैदान में उतर गया था।
वहीं, इजरायल और हिजबुल्लाह संघर्ष शुरू होने के बाद से ही एक-दूसरे पर सीजफायर का उल्लंघन करने का आरोप लगाते रहे हैं। इजरायल डिफेंस फोर्स यानी IDF ने हाल के दिनों में यह कहते हुए “खुफिया जानकारी से पता चला है कि हिजबुल्लाह फिर से अपनी क्षमताओं को मजबूत करने की कोशिश में लगा है,” लेबनान के इस आतंकी संगठन के नेतृत्व, स्पेशल फोर्सेज और सैन्य बुनियादी ढांचे के खिलाफ हमले किए।
जबकि दूसरी ओर, हिजबुल्लाह के प्रवक्ता का कहना है, “इजरायली दुश्मन की ओर से किए गए हमलों के बावजूद, पार्टी समझौते को लेकर प्रतिबद्ध है।” जबकि हिजबुल्लाह ने इससे पहले यह संकेत दिया था कि इजरायल की ओर से ईरान के खिलाफ हमले शुरू करने के बाद यह संगठन तेहरान का समर्थन करते हुए सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। फिलहाल पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच हमले किए जा रहे हैं।
हालांकि इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने 2 दिन पहले शुक्रवार को आगाह किया था कि हिजबुल्लाह के महासचिव नईम कासिम ने “अपने पूर्ववर्तियों से कुछ नहीं सीखा और इजरायल के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं।” उन्होंने अनुरोध करते हुए कहा कि “लेबनानी प्रॉक्सी अलर्ट रहे और यह मानकर चले कि जो इस तरह की धमकी देते हैं इजरायल ने उन आतंकवादियों के साथ धैर्य खो दिया है।”
हिजबुल्लाह के प्रवक्ता ने इसी बात पर फोकस करते हुए कहा कि कासिम, जिन्होंने पिछले सितंबर में इजरायल की ओर से संगठन के नेता हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद कमान संभाली थी, उन्होंने अब अपने बयानों के जरिए ईरान का “समर्थन” किया है। इसलिए भविष्य की कार्रवाई क्षेत्र के गणित को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा, “इसलिए, यह मुद्दा विकास के अधीन है।” “हालांकि, ईरान के पास निश्चित रूप से अपनी सैन्य क्षमताएं हैं।”