नई दिल्ली/गाजियाबाद : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए गाजियाबाद जेल में बंद आफताब नामक आरोपी को 5 लाख रुपए अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला धर्मांतरण के आरोप में जेल में बंद आफताब का है, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 29 अप्रैल को जमानत मिली थी, लेकिन तकनीकी कारणों का हवाला देकर जेल प्रशासन ने उसे रिहा नहीं किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा, “भगवान जाने कितने लोग तकनीकी कारणों से आपकी जेलों में सड़ रहे हैं।” न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आरोपी को केवल तकनीकी आधार पर सलाखों के पीछे रखना अदालत के आदेश की अवहेलना है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अगर अदालत के आदेश के बावजूद लोगों को जेल में रखा जाए तो यह न्याय व्यवस्था के लिए गलत संदेश है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच गाजियाबाद के जिला न्यायाधीश को सौंपी है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि मुआवजे की राशि जिम्मेदार अधिकारी से वसूल की जा सकती है या नहीं। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कोई अधिकारी इस लापरवाही में शामिल पाया जाता है तो उसे व्यक्तिगत जिम्मेदारी का सामना करना होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार से 27 जून तक कंप्लायंस रिपोर्ट मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट 18 अगस्त को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। इस दौरान उत्तर प्रदेश के डीजी जेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए। न्यायालय ने डीजी जेल से कहा कि अदालत के आदेशों का सही तरीके से पालन कैसे किया जाना चाहिए, इसकी जानकारी अपने अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दी जाए।
आफताब के खिलाफ 2024 में अवैध धर्मांतरण के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को उसे जमानत मंजूर की थी, लेकिन जेल प्रशासन ने कोर्ट के आदेश में टाइपो की गलती का हवाला देकर उसे रिहा करने से इनकार कर दिया था। आखिर में कोर्ट के दबाव के बाद आरोपी को रिहा किया गया। यह मामला भारतीय न्यायपालिका की गरिमा और अदालती आदेशों के सम्मान के महत्व को दर्शाता है।