Noida News : मेरी आंखों का तारा ही मुझे आंखें दिखाता है, जिसे हर एक खुशी दे दी, वो हर गम से मिलाता है, मैं कुछ कहूं, कैसे कहूं, किससे कहूं, मां हूं, सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है…. गीतकार कवि दिनेश रघुवंशी ने यह कविता उन लोगों को झकझोरने के लिए लिखी है जो जिंदगी भर बच्चों के लिए जीने के बाद आज वृद्धाश्रम जैसी जगह जीने को मजबूर है। लेकिन वहां उनकी स्थिति देखकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। नोएडा के सेक्टर-55 में ओल्ड ऐज होम पर गुरुवार को राज्य महिला आयोग, नोएडा पुलिस और समाज कल्याण विभाग, जिला प्रोबेशन कल्याण विभाग ने संयुक्त रूप से छापेमारी की। जहां रह रहे बुजुर्गों की हाथ बंधे हुए थे, वह बंद कमरों में रह रहे थे।
अब जाकर यहां से दयनीय हालत में 39 बुजुर्गों का रेस्क्यू किया गया। जिनको सरकारी ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट किया जा रहा है। राज्य महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला ने बताया कि जिस समय रेड की गई बुजुर्ग महिला को बांध के रखा गया था। पुरुषों को तहखाने जैसे कमरो में बंद किया गया था। देख के ऐसा लग रहा था जैसे इनका जीवन किसी नर्क से भी बत्तर था।
मीनाक्षी भराला ने बताया कि इसी ओल्ड ऐज होम का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें एक बुजुर्ग महिला के हाथ बांधकर उनको कमरे में रखा था। ये वीडियो समाज कल्याण विभाग लखनऊ के पास गया। वहां से वीडियो के अनुसार रेड कंडक्ट करने के निर्देश मिले। गोपनीय तरीके से टीम को एकत्रित किया गया और रेड कंडक्ट की गई।
उन्होंने बताया कि जिस समय रेड कंडक्ट की गई बुजुर्ग महिला और पुरुष कमरों में बंद थे। तालों को खुलवाया गया। उस महिला का रेस्क्यू किया गया जिसके हाथ बंधे थे। उसके हाथ खोले गए। पुरुषों के पास कपड़े तक नहीं थे। कई महिलाओं के शरीर पर भी आधे अधूरे कपड़े थे। जिनका रेस्क्यू किया गया। इन सभी को अब सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। इनको दो से तीन दिनों में सरकारी ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि बुजुर्गों को रखने के लिए ये लोग प्रति व्यक्ति से 2.5 लाख रुपए डोनेशन लेते है। इसके अलावा खाने, पीने और रहने के लिए छह हजार रुपए हर महीने लिया जाता है। जब इनके परिजनों से बातचीत की गई तो उन्होंने सब ठीक है का हवाला दिया। इसमें कई ऐसे में लोगों के माता-पिता भी है जो नोएडा में रईस परिवारों में शामिल है।
बुजुर्गों की देखभाल के लिए कोई भी स्टॉफ नहीं रखा गया था। वो खुद की अपना दैनिक प्रक्रिया कर रहे थे। कई बुजुर्गों के कपड़े तक मल मूत्र से सने मिले। जिनको बीमारी तक लग चुकी है। यहां एक महिला मिली। जिसने अपने को नर्स बताया। सख्ती से पूछताछ में उसने अपनी क्वालिफिकेशन 12वीं बताई।
इन सब के बीच कई सवाल उन बच्चों के लिए खड़े होते हैं जो उन्हीं के हैं। नोएडा जैसे शहर में रहने के बावजूद भी अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेजने की जरूरत आखिर पड़ी क्यों? अगर पड़ भी गई तो एक बार उनको देखने आते क्यों नहीं… दूसरे तो छोड़ दो अपने ही मां- बाप की स्थिति को देखकर कभी दया नहीं आई। ये कितना शर्मनाक है। शहर में न जाने कितने ऐसे वृद्धाश्रम हैं जिनमें बुजुर्ग ऐसे ही नर्क वाली जिंदगी काटने को मजबूर हैं, वीडियो वायरल नहीं होता तो इसका भी कभी पता नहीं लगने वाला था।