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भारत के साथ अमेरिका के बिग डील की ये है असली वजह …! चीन से ट्रंप की दोस्ती का इंडिया पर क्या पड़ेगा असर

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inkhbar News
  • Last Updated: June 27, 2025 13:42:44 IST

India-US Deal :  भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों को एक नई दिशा मिलने की संभावना है. दोनों देश एक संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संकेत दिया कि भारत के साथ जल्द ही एक बहुत बड़ा व्यापार समझौता होने जा रहा है.

चाइना के साथ अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार समझौता

द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर ट्रंप ने कहा कि हर कोई एक सौदा करना चाहता है और उसका हिस्सा बनना चाहता है. हमने हाल ही में चीन के साथ समझौता किया है और अब अगला बड़ा सौदा भारत के साथ हो सकता है. जो एक बहुत बड़ी डील होगी.उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका हर देश के साथ सौदे करने की योजना में नहीं है. कुछ मामलों में, अमेरिका केवल धन्यवाद पत्र भेजकर 25% से अधिक टैरिफ लागू करने की रणनीति अपनाएगा. ट्रंप ने कहा कि उनकी टीम व्यापारिक समझौतों के लिए उत्सुक है,लेकिन वह इस प्रक्रिया में सावधानी और रणनीति दोनों को प्राथमिकता देते हैं.

अमेरिका के साथ व्यापार समझौते से किस सेक्टर में भारत को होगा लाभ

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते से कृषि, ऊर्जा, रक्षा और विमानन जैसे क्षेत्रों में टैरिफ कटौती की उम्मीद है, जिससे अमेरिकी उत्पाद भारतीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे. वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार, अमेरिका की तुलना में भारत के औसत टैरिफ अधिक हैं, जिससे यह समझौता अमेरिकी निर्यातकों के लिए फायदेमंद हो सकता है.

बता दें कि अप्रैल 2025 में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर औसतन 26% पारस्परिक टैरिफ लगाया था लेकिन बाद में 10 अप्रैल से 90 दिनों के लिए निलंबित किया गया. इसके बाद से दोनों देशों के बीच डिजिटल व्यापार, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं, तकनीकी मानकों और बाजार पहुंच को लेकर संवाद तेज़ हुआ है. उम्मीद है कि 9 जुलाई से पहले अंतिम समझौते पर सहमति बन सकती है.

ऊर्जा और कृषि में साझेदारी की संभावनाएं

भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के मद्देनजर अमेरिका के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी बनने की संभावना है. CRISIL की एक रिपोर्ट के अनुसार, LNG कच्चे तेल की तुलना में अधिक मूल्य स्थिरता और दीर्घकालिक अनुबंधों के लिए यह साझेदारी उपयुक्त विकल्प हो सकता है. इसके साथ साथ कृषि क्षेत्र में भी बदलाव के संकेत हैं. अमेरिका से अखरोट, पिस्ता और क्रैनबेरी जैसे उत्पादों का आयात बढ़ सकता है, हालांकि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों की व्यापक पहुंच को लेकर सतर्क रवैया बनाए हुए है.

रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में संभावनाएं

घरेलू रक्षा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रहा भारत अभी भी हथियारों का एक बड़ा आयातक बना हुआ है. अमेरिका दुनिया का अग्रणी रक्षा निर्यातक है जो भारत के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ा रहा है. 2023 में शुरू किए गए INDUS-X कार्यक्रम के तहत दोनों देशों ने रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में संयुक्त नवाचार की दिशा में कदम बढ़ाए हैं.

भारत को क्या लाभ?

हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता अमेरिकी निर्यातकों को अधिक लाभ देगा. लेकिन फिर भी भारत के लिए यह कई उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों जैसे स्मार्टफोन, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, रत्न और आभूषण में निर्यात की संभावनाएं खोल सकता है. CRISIL का मानना है कि इन क्षेत्रों में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त से व्यापार संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है. बता दें कि भारत का अमेरिका को निर्यात अप्रैल-मई 2025 के दौरान बढ़कर 17.25 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 14.17 बिलियन डॉलर था. यह संकेत देता है कि अमेरिका द्वारा अप्रैल में लगाए गए टैरिफ का भारतीय निर्यात पर सीमित प्रभाव पड़ा है.