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तेजस्वी के बाद प्रशांत किशोर भी चुनाव आयोग पर हुए हमलावर, वोटर लिस्ट में संशोधन पर क्यों मचा है घमासान

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inkhbar News
  • Last Updated: June 28, 2025 12:28:11 IST

Prashant Kishor : बिहार में चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक घमासान मच गया है. जहां एक तरफ मुख्य विपक्षी दल राजद ने इसे भाजपा द्वारा गरीबों और विरोधियों को वोट देने से रोकने की साजिश बताया है वहीं अब जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और चुनाव आयोग की पारदर्शिता और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर विपक्ष ने जताया अविश्वास

प्रशांत किशोर ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद से ही मतदाता सूची में बदलाव और संशोधन को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं. चुनाव आयोग की ओर से अब तक इन सवालों का कोई स्पष्ट और ठोस जवाब नहीं आया है. प्रशांत ने यह भी कहा कि बिहार जैसे संवेदनशील राज्य में, जहाँ चुनाव से कुछ महीने पहले ही मतदाता सूची में संशोधन किया जा रहा है,वहां आयोग को पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जनता और सभी हितधारकों को भरोसे में लेना चाहिए.

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लोगों के मन में यह डर और संदेह पैदा हो रहा है कि कहीं यह प्रक्रिया सत्ताधारी दल के प्रभाव में आकर उनके विरोधी मतदाताओं के नाम सूची से हटाने की कोशिश तो नहीं है. इसलिए चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया क्या है, इसके नियम-कायदे और मानदंड क्या हैं, और किस आधार पर नाम हटाए या जोड़े जा रहे हैं.

तेजस्वी यादव ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया

वहीं इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने सवाल किया कि पिछली बार जिस काम में दो साल लगे थे, वही कार्य अब महज 25 दिनों में कैसे किया जा सकता है. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर यह इतना ही आसान है तो केंद्र सरकार जातीय जनगणना भी 25 दिनों में क्यों नहीं करा लेती? तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यह गरीबों को मतदान प्रक्रिया से बाहर करने की साजिश है.

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मामले को लेकप भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने इसे वोटरबंदी करार दिया तो विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रवक्ता देव ज्योति ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग बैकडोर से एनआरसी लागू कर रहा है. यह संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है.

चुनाव आयोग की भूमिका पर नजर

बिहार में विपक्ष के चौतरफे इन तीखे राजनीतिक हमलों के बीच अब निगाहें चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं. आलोचना के इस माहौल में आयोग के लिए आवश्यक हो गया है कि वह मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया, उसके नियम और पारदर्शिता को लेकर विस्तृत जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा करे. बता दें कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मी पहले ही तेज हो चुकी है, और अब इस विवाद ने माहौल को और भी गरमा दिया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इन आरोपों का जवाब कैसे देता है और जनता का भरोसा कायम रखने के लिए क्या कदम उठाता है.