Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati : उत्तर प्रदेश में कथा वाचक की पिटाई को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच अब इस मामले में नया बयान सामने आया है.प्रतिष्ठित धर्मगुरु और ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि उनके लिए मनुस्मृति, संविधान से बड़ी है.साथ ही उन्होंने संविधान को लेकर गंभीर आरोप लगाए और उसे देश को दो टुकड़ों में बांटने वाला बताया.
बातचीत के दौरान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हम मनुस्मृति को संविधान से बड़ा मानते हैं.संविधान ने देश और समाज को दो हिस्सों में बांट दिया है.यह देश के नागरिकों के बीच भेदभाव करता है.उन्होंने कहा कि बतौर शंकराचार्य,उनका धर्म और कर्तव्य सनातन व्यवस्था और खासकर वर्ण व्यवस्था की रक्षा करना है.उनका मानना है कि सनातन धर्म की परंपराएं समय के साथ नहीं बदलती और उन्हें समय के अनुसार ढालना धर्म के साथ समझौता करना होगा.
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बातचीत के दौरान शंकराचार्य ने तंज भरे अंदाज़ में कहा कि अगर किसी को संविधान की बात करनी है,तो फिर संविधान की कथा करें, उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.उन्होंने कहा कि अगर किसी को संविधान से चलना है,तो संविधान की कथा करें.हम कब मना कर रहे हैं? लेकिन हम तो सनातन धर्म की बात करते हैं.
इस दौरान शंकराचार्य ने जोर देकर कहा कि एक धर्मगुरु के रूप में उनकी जिम्मेदारी है कि वे पारंपरिक वर्ण व्यवस्था की रक्षा करें.शंकराचार्य के रूप में जो जिम्मेदारी हमें मिली है,उसमें वर्ण व्यवस्था को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है.उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म कालजयी है, जो किसी भी तारीख या युग के अनुसार नहीं बदलता और इसलिए उसे सनातन कहा जाता है.