• होम
  • महाराष्ट्र
  • महाराष्ट्र में लागू नहीं होंगी तीन भाषाओं वाली नीति…सरकार ने रद्द किया प्रस्ताव

महाराष्ट्र में लागू नहीं होंगी तीन भाषाओं वाली नीति…सरकार ने रद्द किया प्रस्ताव

News India 24x7
inkhbar News
  • Last Updated: June 30, 2025 10:12:11 IST

Three languages Policy : महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के स्कूलों में लागू तीन-भाषा नीति से संबंधित दो सरकारी प्रस्तावों (GR) को रद्द कर दिया है.सरकार का यह फैसला विपक्ष और अन्य राजनीतिक दलों द्वारा हिंदी थोपने के आरोपों के बीच आया है.

समिति की रिपोर्ट के आधार पर होगा अंतिम निर्णय

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि इस विवादास्पद मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए शिक्षाविद् डॉ.नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी.राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि एक समिति बनाई जाए जो यह तय करेगी कि तीन-भाषा नीति किन मानकों पर आधारित हो,उसका कार्यान्वयन कैसे हो और छात्रों को क्या विकल्प दिए जाएं.समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

तीन-भाषा नीति से जुड़े प्रस्ताव में क्या थे

सरकार ने 16 अप्रैल और 17 जून को जारी दो अलग-अलग सरकारी प्रस्तावों को रद्द किया है.16 अप्रैल के जीआर में हिंदी को कक्षा 1 से 5 तक के लिए अनिवार्य तीसरी भाषा घोषित किया गया था.इसके बाद 17 जून के जीआर में इसे अनिवार्य न बताकर आम तौर पर लागू करने की बात कही गई थी. इन दोनों आदेशों ने राज्य में भाषा नीति को लेकर विवाद को जन्म दिया.

विपक्ष का सरकार पर हमला

विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए),जिसमें शिवसेना (यूबीटी),महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे)और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) शामिल हैं,ने सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया. शिवसेना (यूबीटी)ने मुंबई और राज्यभर में विरोध प्रदर्शन किए, जिनमें 17 जून के जीआर की प्रतियां जलाई गईं.

सरकार ने क्या कहा ?

विवाद के बीच मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि सरकार मराठी भाषा को प्राथमिकता देती है.उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने ही तीन-भाषा नीति के लिए डॉ.रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था.फडणवीस ने कहा कि हिंदी का विरोध करने और अंग्रेज़ी को स्वीकार करने वालों को जवाब देना चाहिए. बाबासाहेब अंबेडकर भी चाहते थे कि हर कोई हिंदी सीखे.मुख्यमंत्री ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राज ठाकरे को पूछना चाहिए कि जब उद्धव ठाकरे की सरकार थी,तब वह कहां थे.अब विपक्ष में रहते हुए उनका रुख क्यों बदल गया?