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तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल, स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया को बताया संदेहास्पद

News India 24x7
inkhbar News
  • Last Updated: July 7, 2025 14:18:04 IST

Bihar vidhan sabha chunav : बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गर्मी बढ़ी हुई है.चुनाव आयोग द्वारा बिहार में कराए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन(SIR) को लेकर  बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं.तेजस्वी ने पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग के कार्यों पर विरोध जताया और इसे पारदर्शी न होने का आरोप लगाया.

तेजस्वी यादव ने  क्या कहा

तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल ने 5 जुलाई को चुनाव आयोग से मुलाकात की थी और अपने सवालों को स्पष्ट रूप से रखा था. लेकिन अब तक उन सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिला है.उन्होंने कहा कि पटना का चुनाव आयोग निर्णय लेने योग्य नहीं है,इसलिए हमने अपनी आपत्तियां दिल्ली भेजी हैं,लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला.

दस्तावेजों पर भी उठाए सवाल

तेजस्वी ने चुनाव आयोग द्वारा वोटर्स से मांगे गए 11 दस्तावेजों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड, राशन कार्ड और मनरेगा कार्ड जैसे कुछ दस्तावेजों के अलावा जिनके पास ये 11 दस्तावेज नहीं होंगे,उनका नाम वोटर लिस्ट से काटा जाएगा.उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में आधार कार्ड को वोटर लिस्ट से बाहर रखा गया है, जबकि देशभर में इसे मान्यता प्राप्त है.

चुनाव आयोग के द्वारा जारी किए गए विज्ञापन को लेकर नेता विपक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपने विज्ञापनों में कहा कि अगर आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं तो केवल गणना प्रपत्र भरकर बीएलओ के पास जमा करें,जबकि कुछ अन्य विज्ञापनों में कहा गया कि दस्तावेज़ के साथ फोटो देना होगा. उन्होंने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को कन्फ्यूज्ड और असंगत करार दिया.

चुनाव आयोग पर सवाल

तेजस्वी यादव ने कहा कि 6 जुलाई को चुनाव आयोग ने पहला पोस्ट किया था कि वोटर्स अपना दस्तावेज बाद में भी जमा कर सकते हैं, लेकिन कुछ ही समय बाद वही आयोग दूसरे पोस्ट में कह रहा था कि दस्तावेज 25 जुलाई तक दिए जा सकते हैं.इस बदलाव को लेकर उन्होंने सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग केवल विज्ञापनों के जरिए काम चला रहा है और क्यों कोई आधिकारिक आदेश नहीं जारी किया जा रहा?

तेजस्वी ने यह भी पूछा कि यदि आयोग को कोई गलत काम नहीं करना है तो आदेश क्यों नहीं जारी कर रहा?और अगर दस्तावेजों के बिना वोटरों का प्रपत्र लिया जा रहा है, तो क्या इसका उद्देश्य किसी खास तबके का नाम वोटर लिस्ट से हटाना है?