bihar crime : बिहार में बीते कुछ दिनों से अपराधियों के तांडव के आगे प्रशासन पस्त नजर आ रहा है. राजधानी पटना में हुए व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या की गुथी अभी सुलझनी शुरू ही हुई थी कि पूर्णिया से एक और बड़ी खबर सामने आ गई. जहां अंधविश्वास के कारण एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई है. जानकारी के अनुसार बाबूलाल उरांव, सीता देवी, मंजीत उरांव और रनिया देवी सहित पांच लोगों को गांव के ही लोगों ने डायन के आरोप में पहले पीट-पीटकर अधमरा कर दिया और फिर जिंदा जला दिया .
एक ही परिवार के पांच लोगों की गई इस निर्मम तरीके से हत्या मामले में, घटना को अंजाम देने के आरोप में पुलिस ने 23 नामजद सहित 173 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी की भी जानकारी मिली. पुलिस के अनुसार घटना रात लगभग 1 बजे के आसपास हुई जब इन पांचों को डायन होने के आरोप में पहले लोगों ने बुरी तरह पीटा और इतने भर से मन नहीं भरने पर जिंदा जला दिया. घटना की सुचना मिलने पर पुलिस ने मौके पहुंच जांच शुरु की.
मामले को लेकर पुलिस ने बताया कि घटना पूर्णिया के टेटगामा गांव की है. बीते रविवार को गांव में एक परिवार पर अंधविश्वास का आरोप लगया गया…गांव में एक पंचायत भी हुई. जिसमें करीब 300 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे, इस पंचायत के बाद बाबूलाल उरांव और उसके परिवार के चार सदस्यों की जलाकर हत्या कर गई. जिसको लेकर लगाकर घर के पांच लोगों की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई थी. इसको लेकर गांव में एक पंचायत भी हुई थी.बताया जा रहा है कि इस पंचायत में करीब 300 लोग शामिल हुए. पंचायत के बाद बाबूलाल उरांव और उसके परिवार के चार सदस्यों की जलाकर हत्या कर गई.
हालांकि परिवार का एक 12 साल का बच्चा बच गया. जो उस भिड़ की वजह से जिंदा रह गया जो उसके परिवार के लिए काल बन गई. बच्चे का नाम सोनू है….उसने पुलिस को बताया कि कैसे उसके परिवार के साथ यह ज्यादती की गई. सोनू ने पुलिस को बताया कि जब लोग उसके परिवार को जला रहे थे तब एक महिला उसके पास आई और उसे वहां से भागने के लिए कहा.. उसने बताया कि अगर वो वहां से नहीं भागता तो वह भी घटना का शिकार हो जाता.. घटना के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा है…और कोई भी कुछ कहने से बच रहा है.