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सावन का सयोंग, भगवान शिव की आराधना और जल चढ़ाने से मिलता हैं आर्शीवाद

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inkhbar News
  • Last Updated: July 18, 2025 11:22:21 IST

Sawan : सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और शुभ माना जाता हैं। यह महीना खास रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता हैं। इस दौरान भक्त भगवान शिव को खुश करने के लिए व्रत, पूजा-पाठ और खास तौर से जल चढ़ाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का इतना महत्व क्यों है? आइए जानते हैं इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण।

धार्मिक मान्यता

प्राचीन कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले विष को भगवान शिव जी ने अपने कंठ में भर लिया था, जिससे उनका शरीर गर्म हो गया। इस विष की तेज को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने उन्हें गंगा जल और दूध चढ़ाया। तभी से सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई, जिससे भोलेनाथ को ठंडक मिलती है और वे खुश होते हैं। शिव जी पर जल चढ़ाने से नेगेटिव एनर्जी दूर होती हैं और मन को शांति मिलती हैं। इससे लोगों के पापों का नाश होता हैं। भक्त की हर मनोकामना पूरी होती हैं और जीवन में सुख और समृद्धि आती हैं।

सावन का महत्व

बरसात में जल की अधिकता होती हैं, जिससे प्रकृति भी खुश रहती हैं। सोमवार का दिन खासकर शिवजी को समर्पित होता है, इसलिए सावन के सोमवार को जल चढ़ाने का विशेष पुण्य प्राप्त होता हैं। इसी समय गंगा जल विशेष पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग पूजा में अत्यंत शुभ होता हैं।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि

सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
शिव मंदिर जाएं या घर में ही शिवलिंग स्थापित कर पूजा करें।
बेलपत्र, धतूरा, भांग, गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
अंत में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।

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वैज्ञानिक दृष्टि

शिवलिंग को जल से स्नान कराने का अर्थ हैं, प्रकृति को संतुलित रखने और जल का सम्मान करना होता हैं। जल को सही तरीके से शिवलिंग पर गिरने से वातावरण को ठंडा करते हैं। यह प्रक्रिया ध्यान और मानसिक एकाग्रता को बढ़ाने में मददगार होता हैं। सावन में शिवजी पर जल चढ़ाने की परंपरा केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक भी हैं। यह हमारे विश्वास और प्रकृति से जुड़े संबंधों को मजबूत करता हैं। इसलिए श्रद्धा और भक्ति से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और भगवान शिव को खुश करें।

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