नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं। राज्य में साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होंगे। इस बीच राज्य के दोनों बड़े गठबंधन- NDA और INDIA ने अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। एनडीए में जहां बीजेपी, जेडीयू, हम और एलजेपी (रामविलास) शामिल है। वहीं इंडिया में आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी, एलजेपी (पशुपति पारस) और वाम दल शामिल हैं।

दोनों गठबंधनों में टिकट बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। इस बीच चर्चा थी कि विपक्षी महागठबंधन में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी शामिल हो सकती है। लेकिन बाद में राजद की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि एआईएमआईएम के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा।

AIMIM ने बढ़ाई राजद की चिंता

ढाई दशकों से बिहार के मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में रखने वाले लालू प्रसाद यादव इस बार बीजेपी और जेडीयू से ज्यादा एआईएमआईएम से चिंतित नजर आ रहे हैं। लालू यादव और उनकी पार्टी राजद को डर है कि ओवैसी की वजह से उन्हें मुस्लिम वोटरों की अधिकता वाले सीमांचल में 10-12 सीटों का नुकसान झेलना पड़ सकता है।

2020 के विधानसभा चुनाव में इसी सीमांचल इलाके में AIMIM ने 5 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर सबको चौंका दिया था। हालांकि बाद में 5 में से 4 विधायकों को तेजस्वी यादव ने तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था। इस बार ओवैसी के लगातार हो रहे बिहार दौरों को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि एआईएमआईएम को पिछले चुनाव से ज्यादा सीटों पर जीत मिल सकती है। अगर ऐसा हुआ तो फिर तेजस्वी यादव के सीएम बनने की राह में AIMIM सबसे बड़ा रोड़ा बन जाएगी।