New Delhi : सुप्रीम कोर्ट (The Supreme Court) ने देश में बढ़ते हेट स्पीच के मामलों को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। शीर्ष न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस पर तुरंत लगाम लगाने की जरूरत है। न्यायालय ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा कि हेट स्पीच एक “बड़ा खतरा” बनता जा रहा है जिसे बढ़ने से रोकना अत्यंत आवश्यक है।
कोर्ट ने अपने निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया है कि पुलिस को शिकायत दर्ज होने का इंतजार किए बिना संज्ञान लेकर FIR दर्ज करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A, 153B, 295A और 505 के तहत बिना किसी शिकायत के भी कार्रवाई करें।
सुप्रीम कोर्ट ने खासकर सोशल मीडिया पर फैल रहे नफरती भाषणों पर चिंता जताई है और कहा है कि ये चिंताजनक हैं और इन पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है। न्यायालय ने यह भी कहा कि इन दिनों ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम पर सब कुछ जायज ठहराने की कोशिश की जा रही है, जो बेहद खतरनाक है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को गंभीर खतरा है।
विशेषकर टेलीविजन चैनलों को भी कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। न्यायालय ने कहा है कि एंकरों की यह नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वे अपने कार्यक्रमों में नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकें और इस तरह की सामग्री को प्रसारित न होने दें। कोर्ट ने मीडिया की भूमिका को लेकर सख्त रुख अपनाया है और कहा है कि वे अपनी जिम्मेदारी को समझें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई करने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट या देरी को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा। न्यायालय ने सरकारों से कहा है कि वे हेट स्पीच के मुद्दे को तुच्छ न मानें और इसे रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करें।