मुंबई। महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर हो रहे विवाद के बीच शनिवार को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आए। उन्होंने मराठी एकता पर मुंबई के वर्ली डोम में रैली की। मराठी विजय दिवस पर आयोजित इस रैली में राज ठाकरे ने त्रिभाषा नीति और केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की।

मराठी अस्मिता बचाएंगे

सभा को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि जब मोर्चा बनाने की चर्चा हुई तो भाजपा को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा। जो बाला साहेब नहीं कर पाए, वो आज हुआ है। देवेंद्र फडणवीस ने हमें साथ ला दिया। 20 साल बाद आज हम एक मंच पर हैं। शाम को मीडिया चर्चा करेगी कि क्या दोनों भाई एक हो जाएंगे? दोनों का बॉडी लैंग्वेज कैसा था? हमारा एजेंडा मराठी अस्मिता है, जो इसकी तरफ तिरछी नजर से देखेगा, हम उसके विरोध में खड़े रहेंगे। आप हम पर हिंदी नहीं थोप सकते हैं।

सड़कों पर हम मजबूत

राज ठाकरे ने आगे कहा कि आपके पास विधानसभा में ताकत है लेकिन हमारे पास सड़कों पर है। मालूम हो कि उद्धव और राज ठाकरे आखिरी बार साल 2006 में बाला साहेब की रैली में दिखे थे। उद्धव ठाकरे को शिवसेना प्रमुख बनाने के बाद राज ने अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना ली। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा की आपके शासन के पिछले 11 सालों में आपने क्या किया? मुंबई के प्रतिष्ठानों को गुजरात में धकेल दिया। व्यवसाय आप गुजरात में स्थान्तरित कर रहे हैं।

जानिए क्या है त्रिभाषीय फार्मूला

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्टूडेंट्स की पहली भाषा मातृभाषा/स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा होगी। दूसरी भाषा हिंदी या फिर राज्य की दूसरी भारतीय भाषा होगी। तीसरी भाषा में अंग्रेजी या कोई अन्य भारतीय या विदेशी भाषा चुन सकते हैं। महाराष्ट्र में 1 से 5वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य कर दिया गया था, इसी को लेकर पूरा विवाद हो रहा।

 

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