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“…तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे”, राज-उद्धव ठाकरे के एक साथ आने पर कांग्रेस की दो टूक

Maharashtra Politics
inkhbar News
  • Last Updated: July 9, 2025 20:05:02 IST

Maharashtra Politics: राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे जब से एक साथ आए हैं तब से महाराष्ट्र की सियासत में नया मोड़ आ गया है। लोगों की निगाहें अब दो ही चीजों पर टिकी हैं। एक ठाकरे बंधु और दूसरी निकाय चुनाव। इसी बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस मुंबई समेत राज्य में होने वाले नगर निकाय चुनाव अकेले लड़ती है तो इसमें हैरानी नहीं होगी। एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में चव्हाण ने मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा मारपीट की घटना के बाद राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा।

समान विचारधारा वाली पार्टी से है गठबंधन

एक सवाल के जवाब में चव्हाण ने कहा, “कांग्रेस का गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल दलों शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (एसपी) से है। अगर वो समान विचारधारा वाली किसी अन्य राजनीतिक पार्टी को साथ लेना चाहते हैं तो यह उनका मामला है।” पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “लेकिन अगर वो ऐसे लोगों के साथ (Maharashtra Politics) गठबंधन करना चाहते हैं जो मूल रूप से कांग्रेस की विचारधारा, धर्मनिरपेक्षता के विरोधी हैं, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।”

समिति के समक्ष रखे थे विचार

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंबई समेत अन्य स्थानों पर स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर हाल ही में दिल्ली में बैठक हुई थी। जिसमें उन्होंने एक समिति के समक्ष अपने विचार रखे हैं। यही समिति तय करेगी कि गठबंधन के सदस्यों के साथ चुनाव लड़ा जाए या अकेले। इतना ही नहीं, उन्होंने आगे कहा,”पहले भी हमने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया था, लेकिन निकाय चुनाव अलग लड़े थे और अगर कांग्रेस मुंबई, पुणे, नागपुर के निकाय चुनाव अलग-अलग लड़ने का फैसला करती है तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा।”

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बता दें कि मंगलवार को मनसे और अन्य समूहों के कार्यकर्ताओं ने मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए ठाणे के मीरा भयंदर इलाके में विरोध मार्च का नेतृत्व किया था। वहीं इससे पहले मराठी में बात करने से इनकार करने पर मनसे कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार पर हमला भी किया था। जिसके बाद राजनीतिक बयानबाजी (Maharashtra Politics) बढ़ गई थी। वहीं, जब पूर्व मुख्यमंत्री से विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने दावा किया, “एक बात बिल्कुल साफ है, यह केंद्र सरकार की नीति है, जिस पर आरएसएस जोर देता है। वो एक राष्ट्र-एक भाषा, एक राष्ट्र-एक धर्म, एक राष्ट्र-एक चुनाव चाहते हैं। यह मानसिकता 1930 के दशक के हिटलर के जर्मनी जैसी है।”

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