Asaduddin Owaisi: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सोशल मीडिया पर उस समय भिड़ गए जब रिजिजू ने अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर एक पोस्ट किया था। जिसके बाद हैदराबाद सांसद ने बिना रुके उस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साध दिया। दरअसल, एक अखबार को दिए इंटरव्यू में रिजिजू ने जो कुछ भी कहा था उसको सोशल मीडिया पर शेयर किया था। अपनी पोस्ट में उन्होंने भारत को इकलोता ऐसा देश बताया जहां अल्पसंख्यक समुदाय को बहुसंख्यक हिन्दुओं की तुलना में ज्यादा लाभ और सुरक्षा मिली हुई है।
इतना ही नहीं, रिजिजू ने दावा किया कि भारत के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पड़ोसी देशों में पलायन नहीं करते हैं। यानी भारतीय मुसलमान पाकिस्तान नहीं जाते हैं। हालांकि इसमें उन्होंने किसी समुदाय विशेष का नाम तो नहीं लिखा, लेकिन रिजिजू के इस बयान पर ओवैसी भड़क उठे। उन्होंने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X) पर लंबा पोस्ट लिखकर जवाब दिया।
You are a Minister of the Indian Republic, not a monarch. @KirenRijiju You hold a constitutional post, not a throne. Minority rights are fundamental rights, not charity.
Is it a “benefit” to be called Pakistani, Bangladeshi, jihadi, or Rohingya every single day? Is it… https://t.co/G1dgmvj6Gl
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 7, 2025
AIMIM प्रमुख (Asaduddin Owaisi) ने अपने पोस्ट में लिखा, “किरेन रिजिजू, आप भारतीय गणराज्य के मंत्री हैं, राजा नहीं। आप संवैधानिक पद पर हैं, सिंहासन पर नहीं। अल्पसंख्यक अधिकार मौलिक अधिकार हैं, कोई दान नहीं। ओवैसी ने लिखा कि क्या हर दिन पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना लाभ है? क्या लिंचिंग किया जाना सुरक्षा है? इस दौरान ओवैसी ने लिखा कि क्या भारतीय नागरिकों का अपहरण कर उन्हें बांग्लादेश में धकेल देना सुरक्षा है? क्या हमारे घरों, मस्जिदों और मजारों पर अवैध रूप से बुलडोजर चलाना और उसे जमींदोज होते देखना एक विशेषाधिकार है?”
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उन्होंने आगे लिखा, “क्या भारत के प्रधानमंत्री से कम किसी और के नफरत भरे भाषणों का निशाना बनना सम्मान है?” उन्होंने (Asaduddin Owaisi) आगे लिखा, “भारत के अल्पसंख्यक अब दूसरे दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं, हम बंधक हैं। अगर आप एहसान के बारे में बात करना चाहते हैं, तो इसका जवाब दें: क्या मुसलमान हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड के सदस्य हो सकते हैं? नहीं। लेकिन आपका वक्फ संशोधन अधिनियम गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने के लिए मजबूर करता है और उन्हें बहुमत बनाने की अनुमति भी देता है।”
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