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संविधान की प्रस्तावना से इन शब्दों को हटाने की मांग, RSS ने किया बहस की अपील

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inkhbar News
  • Last Updated: June 27, 2025 11:01:06 IST

RSS : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत के संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने पर खुली बहस की मांग की है. उन्होंने कहा कि ये दोनों शब्द 1976 में आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़े गए थे, जो कि डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए मूल मसौदे में शामिल नहीं थे.

RSS की क्या है मांग

होसबाले ने यह बयान आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया. उन्होंने आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय करार देते हुए कांग्रेस से इसके लिए माफी की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि आपातकाल के दौरान न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता को दबाया गया, लाखों लोगों को बिना मुकदमे के जेल में डाला गया और जबरन नसबंदी जैसे कठोर कदम उठाए गए.

कांग्रेस ने बताया संविधान विरोधी साजिश

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस (Samvidhaan Hatya Diwas) के रूप में मनाया, जिससे सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के बीच तीखा टकराव और गहरा गया है. कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को आरएसएस-भाजपा की “संविधान विरोधी साजिश” बताया है और कहा है कि वह संविधान की मूल भावना और अंबेडकर की विरासत की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर मुकाबला करेगी.

RSS और भाजपा पर संविधान को कमजोर करने का आरोप

कांग्रेस पार्टी ने RSS और भाजपा पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रस्तावना से समाजवादी और पंथनिरपेक्ष जैसे शब्दों को हटाने की कोशिश भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर सीधा हमला है. पार्टी नेताओं ने इसे भारतीय गणराज्य की आत्मा के खिलाफ बताया और कहा कि वे इस मुद्दे पर संसद से सड़क तक संघर्ष करेंगे.

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