Ahmedabad Plane Crash: गुजरात के अहमदाबाद के मेघानी नगर में हुए प्लेन क्रैश में 242 लोगों की मरने की आशंका जताई जा रही है। इस विमान में भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व सीएम विजय रुपाणी भी शामिल थे। यह हादसा टेकऑफ के दौरान हुआ है। आइये जानते हैं कि अक्सर प्लेन क्रैश टेकऑफ के दौरान ही क्यों होती है? ऐसे समय मेें पायलट का रोल कितना महत्वपूर्ण होता है।
आपको बता दें कि टेकऑफ के समय प्लेन ग्राउंड से हाई स्पीड पकड़ रहा होता है। इस दौरान पायलट के पास सीमित समय होता है और उन्हें कई अहम फैसले लेने होते हैं। प्लेन के इंजन-सिस्टम, रनवे और मौसम पर सबसे ज्यादा दबाव रहता है। छोटी सी चूक बड़ी दुर्घटना में बदल सकती है। अगर इंजन में कोई तकनीकी खामी जैसे कि बर्ड हिट, फ्यूल प्रेशर, मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट या कोई अन्य दिक्कत आई तो तुरंत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। इंटरनेशनल एविएशन रिपोर्ट्स की माने तो टेकऑफ और लैंडिंग के समय होने वाली दुर्घटना काफी हद तक मानवीय भूल की वजह से होती है।
टेकऑफ के समय पायलट तीन हिस्सों में काम करता हुई। उन्हें मौसम रिपोर्ट, रनवे कंडीशन, वजन और फ्यूल लेवल का आंकलन करके टेकऑफ प्लानिंग करनी होती है। इमरजेंसी प्लान भी बनाना रहता है ताकि कोई गड़बड़ हुई तो उस समय क्या किया जाएगा? दूसरा उन्हें रनवे पर ध्यान देना रहता है। इंजन की आरपीएम और तापमान को मॉनिटर करते रहना। स्पीड इंडिकेटर को चेक करना रहता है। इमरजेंसी के पायलट को सेकंड में फैसला लेना रहता है कि आगे क्या करना है? इसलिए ऐसे समय में पायलट का अनुभव, ट्रेनिंग और मानसिक स्थिरता बहुत हद तक जरूरी हो जाता है। टेकऑफ के समय क्रैश होने पर सबसे ज्यादा पायलट को जिम्मेदार ठहराया जाता है क्योंकि पूरा प्रोसेस उनके नियंत्रण में रहता है। ICAO यानी इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 65 फीसदी दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण हो होती है। 20 फीसदी के लिए तकनीकी खराबी और 10 प्रतिशत के लिए मौसम जिम्मेदार होता है।