Noida News : नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने सेक्टर-39 में बनी अवैध कॉलोनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। महर्षि आश्रम (Maharshi Ashram) की जमीन पर बनी 50 से अधिक सोसायटियों को अवैध घोषित कर 39 डेवलपर्स को नोटिस जारी किया गया है। सेक्टर-39 थाना क्षेत्र के सलारपुर पुलिस चौकी के पीछे प्राधिकरण की अधिसूचित जमीन पर डेवलपर्स द्वारा अतिक्रमण कर 50 से अधिक आवासीय सोसायटी बसाई जा रही थी। इन सभी को प्राधिकरण ने अवैध घोषित कर दिया है। इसको लेकर स्थानीय लोग विरोध भी कर रहे थे।
प्राधिकरण ने 39 डेवलपर्स को नोटिस जारी कर निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह के अंदर अवैध निर्माण को खुद ध्वस्त कर लें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो प्राधिकरण कार्रवाई करेगा और होने वाला खर्च डेवलपर्स को देना होगा। 2018 से इस क्षेत्र में अवैध निर्माण हो रहा है। कई कॉलोनियां चर्चित महर्षि आश्रम की जमीन पर बसाई जा रही हैं जहां एक नया शहर बस गया है। सीईओ लोकेश एम ने अधीनस्थों से इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।
वर्क सर्किल आठ के वरिष्ठ प्रबंधक सतेंद्र गिरी और भूलेख विभाग के डिप्टी कलेक्टर शशि त्रिपाठी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल के साथ टीम पहुंची। 39 डेवलपर्स की निर्माणाधीन साइट पर काम रुकवाया गया और बिल्डिंगों पर अवैध निर्माण का नोटिस चिपकाया गया। कार्रवाई के विरोध में एकत्र डेवलपर्स ने करीब तीन घंटे तक निर्माणाधीन साइट पर हाई वोल्टेज ड्रामा किया लेकिन मौजूद पुलिस बल के आगे उनकी एक न चली।
अधिकारियों ने बताया कि खसरा संख्या 723, 724, 727, 728, 729, 730, 731, 732, 733, 734, 735, 736, 737, 738, 739, 745, 746, 747, 748, 749, 750, 751, 752, 753 पर अवैध निर्माण हो रहा है। इन खसरों की जमीन को गलत तरीके से किसानों ने अपने नाम दाखिल खारिज कराया है। प्राधिकरण ने आम जनता से अपील की है कि इस भूमि पर किसी प्रकार की खरीद-फरोख्त न करें क्योंकि इससे वित्तीय हानि हो सकती है।
नोटिस में शामिल मुख्य नाम हैं – मोहम्मद अयूब व याकूब, सुनील शर्मा व राहुल शर्मा, सलीम व शमीम, एसए प्रमोटर्स, प्रॉपर्टी अरीना इंफ्राकान प्राइवेट लिमिटेड, एनर्जी बिल्डिंग सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, क्वालिस्टिक टेक्नोज प्राइवेट लिमिटेड, डालमिया लेटेक्स लिमिटेड, सिंहवाहिनी इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और कई अन्य कंपनियां।
अब सवाल यह उठ रहा है कि प्राधिकरण की बिना मर्जी के इतनी सोसायटी कैसे बनीं। क्या प्राधिकरण की मिलीभगत से यह सारा काम हो रहा था। जो लोग यहां शिफ्ट हो गए हैं वो कहां जाएंगे?
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