Noida News : एक ऐसी घटना जो हर माता-पिता के लिए सबसे बड़े डर का कारण है, वह दस साल बाद खुशी की कहानी में बदल गई है। साल 2015 में नोएडा के गेझा गांव से लापता हुआ सात साल का बच्चा आखिरकार अपने परिवार से मिल गया है। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए चमत्कार साबित हुई है, बल्कि पुलिस की दृढ़ता और समर्पण का भी उदाहरण है। नोएडा की फेस दो थाना पुलिस ने ये काम करके दिखाया है।
6 नवंबर 2015 की वह काली शाम आज भी उस परिवार की यादों में ताजा है जब उनका प्यारा बेटा खेलते-खेलते गायब हो गया था। दो दिन बाद 8 नवंबर को जब परिवार ने थाना फेस-2 में रिपोर्ट दर्ज कराई, तो पुलिस ने तुरंत धारा 363 आईपीसी के तहत मुकदमा पंजीकृत कर जांच शुरू की। लेकिन समय बीतता गया और सालों की तलाश के बावजूद बच्चे का कोई सुराग नहीं मिला। आखिर में 2022 में केस को बंद करना पड़ा।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इस साल 28 मई को हरियाणा के फरीदाबाद जिले के सूरजकुंड थाने में एक अपहरण का मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने 2 जून को आरोपी मंगल कुमार से एक बच्चे को छुड़ाया। पूछताछ के दौरान पता चला कि उसके पास एक और बच्चा है जो कई साल पहले से उसके साथ है और नोएडा से लाया गया था। इसके बाद सूरजकुंड पुलिस ने तुरंत नोएडा के थाना फेस-2 को जानकारी दी। यहीं से शुरू हुई वह खोजबीन जो दस साल पुराने घाव को भरने वाली साबित हुई। समस्या यह थी कि बच्चे का नाम बदल दिया गया था, इसलिए शुरू में मिलान नहीं हो सका। थाना प्रभारी ने बच्चे को बुलवाया और धैर्य से समझा-बुझाकर पूछताछ की।
फिर शुरू हुआ छह घंटे का मैराथन अभियान। फेस दो थाना के पुलिसकर्मियों ने पिछले दस साल के तमाम अपराध रजिस्टर, याददाश्त रजिस्टर और गुमशुदा रजिस्टर को एक-एक पन्ना पलटकर देखा। आखिरकार मिल गई वह लापता कड़ी यह वही बच्चा था जो 2015 में गुम हुआ था। अब सबसे बड़ी चुनौती थी परिवार से संपर्क कैसे किया जाए। बच्चे को अपने माता-पिता के नाम के अलावा कुछ याद नहीं था। केस में दर्ज मोबाइल नंबर भी पिता का नहीं बल्कि आगरा के एक मित्र का था। फिर भी पुलिस ने हार नहीं मानी और उस व्यक्ति के जरिए परिवार तक पहुंची।
जब माता-पिता को फोन आया कि उनका खोया बेटा मिल गया है, तो वे सहसा विश्वास नहीं कर सके। दस साल का लंबा अंतराल था। उन्होंने बच्चे की शारीरिक पहचान के बारे में पूछा। जब बताया गया कि लड़के के दाहिने हाथ की एक उंगली कटी है और बाईं आंख के नीचे घाव का निशान है, तब जाकर उनका यकीन हुआ। खुशी का वह मंजर देखने लायक था जब बच्चे के बड़े भाई, चाची और जीजा थाने पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने बच्चे के हाथ की कटी उंगली देखी और फिर उससे लिपटकर रो पड़े। हैरानी की बात यह थी कि दस साल बाद भी बच्चे ने अपने बड़े भाई को तुरंत पहचान लिया।
अब यह बच्चा जल्द ही अपने माता-पिता से मिलेगा जो मैनपुरी में रहते हैं। उन्हें रात में ही सूचना देकर नोएडा आने को कहा गया है। आगे की कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को पहले चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने प्रस्तुत किया जाएगा और फिर न्यायालय में बयान दर्ज कराया जाएगा। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए खुशी की बात है बल्कि थाना फेस-2 की पुलिस टीम के संभव प्रयासों का भी परिणाम है। यह केस इस बात का सबूत है कि न्याय में देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं।