Supreme Court reprimands petitioner
Noida News : नोएडा में कुत्तों को खाना खिलाने को लेकर आए दिन महाभारत होती रहती है। जहां एक ओर डॉग प्रेमी आवारा जानवरों को खाना खिलाने के लिए अड़े रहते हैं वहीं दूसरी ओर डॉग बाइट से डरे लोग इसका विरोध करते हैं। शहर में इसके कई मामले सामने आ चुकें है। कुत्तों को खिलाने के मामले थाने तक पहुंच चुके हैं। लेकिन अब यही मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंच गया। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए उसे परेशान याचिकाकर्ता को ही फटकार लगाई है। जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने उससे पूछा कि वह घर पर जानवरों को खाना क्यों नहीं खिला सकता।
न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा, “आप उन्हें अपने घर में ही खाना क्यों नहीं खिलाते? आपको कोई नहीं रोक रहा है।” “क्या हर गली और हर सड़क सिर्फ बड़े दिल वालों के लिए खुली रखनी चाहिए? जानवरों के लिए जगह है, लेकिन इंसानों के लिए कोई जगह नहीं है।” याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उनका मुवक्किल पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 का पालन कर रहा है। नियम 20 के तहत, स्थानीय निवासियों का निकाय या नगर पालिका सामुदायिक पशुओं के लिए भोजन स्थल निर्धारित करने के लिए ज़िम्मेदार है। वकील ने कहा कि ग्रेटर नोएडा के विपरीत, नोएडा के अधिकारी ऐसा नहीं कर रहे हैं।
जवाब में, अदालत ने कुत्तों को खाना खिलाने के लिए घर पर एक आश्रय स्थल खोलने का सुझाव दिया। इसने सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी जताई, यह कहते हुए कि सुबह की सैर करने वालों और दोपहिया वाहन सवारों को अक्सर आवारा कुत्तों के कारण खतरा होता है। अदालत ने कहा, “सुबह साइकिल चलाने की कोशिश करें और देखें कि क्या होता है।” यह याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मार्च 2025 के एक आदेश से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता ने नियमों के उचित क्रियान्वयन और उत्पीड़न से सुरक्षा का अनुरोध किया था।
उच्च न्यायालय ने जानवरों और लोगों, दोनों की सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा था कि जहां आवारा कुत्तों को कानून के तहत सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, वहीं जन सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। न्यायालय ने हाल ही में कुत्तों द्वारा किए गए हमलों का हवाला दिया, जिनमें गंभीर चोटें आईं और यहां तक कि मौतें भी हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से याचिकाकर्ता और आम जनता, दोनों की चिंताओं के प्रति संवेदनशील होने को कहा था। न्यायालय ने उन्हें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि आवारा कुत्तों और पैदल चलने वालों, दोनों की सुरक्षा के लिए सही उपाय किए जाएं।
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