Indus Waters Treaty : भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर एक बार फिर से तनाव गहराता जा रहा है. हाल ही में भारत के गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान को लेकर पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है.

बिलावल भुट्टो ने दी युद्ध की चेतावनी

एक रैली में  अमित शाह द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि भारत का सिंधु जल संधि को बहाल करने का कोई इरादा नहीं है. जिस पर पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है. पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने इस मुद्दे पर भारत को खुली युद्ध की चेतावनी दी है. बिलावल भुट्टो ने कहा कि भारत के पास केवल दो विकल्प हैं या तो वह सिंधु जल संधि के लिए सहमत हो और इसे चलने दे या फिर पाकिस्तान से युद्ध के लिए तैयार रहे. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत सिंधु का पानी रोकता है, तो पाकिस्तान सभी छह नदियों पर कब्जा कर सकता है. भुट्टो ने इसे पाकिस्तान के अस्तित्व की लड़ाई बताया और कहा कि उनकी सरकार इसके लिए किसी भी हद तक जा सकती है.

पहले भी आ चुका है भुट्टो का भड़काऊ बयान

पूर्व में भी भुट्टो ऐसे भड़काऊ बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि या तो नदियों में पानी बहेगा या भारत में खून. एक बार फिर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि यदि भारत ने पानी रोका तो पाकिस्तान के पास युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.

गौरतलब है कि अप्रैल में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला लिया था. इसके बाद पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई थीं. अब अमित शाह द्वारा संधि को अब कभी बहाल न होने वाला बताने के बाद यह विवाद और गहरा गया है.

क्या है सिंधु जल संधि?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी. इसके तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को और रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पानी भारत को आवंटित किया गया था. समझौते में विवाद निपटारे और तकनीकी निरीक्षण के लिए भी प्रावधान किए गए हैं.

OIC को पाक का साथ

इस बीच इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) ने भी इस मामले में दखल देते हुए भारत और पाकिस्तान दोनों से संधि का पालन करने का आह्वान किया है. हाल ही में तुर्की के इस्तांबुल में हुई बैठक में संगठन ने कहा कि दक्षिण एशिया में बढ़ती सैन्य गतिविधियों को लेकर वह चिंतित है और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील करता है. OIC का यह रुख साफ तौर पर पाकिस्तान के पक्ष में जाता दिख रहा है.बयान में यह भी कहा गया कि सिंधु जल संधि को तोड़ने का कोई प्रयास क्षेत्र की स्थिरता को खतरे में डाल सकता है.