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ईरान के खिलाफ इजराइल और अमेरिका की जंग में किसके साथ भारत की राजनीतिक पार्टियां…?

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inkhbar News
  • Last Updated: June 23, 2025 12:48:48 IST

Indian Party reactions on US Attacks : 22 जून की आधी रात को अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले से पश्चिमी एशिया में तात्कालिक तनाव और बढ़ गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्डो,नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु साइट्स को निशाना बनाया गया. इस हमले के बाद से भारत में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई हैं.

कांग्रेस और सोनिया गांधी की आलोचना

कांग्रेस की संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पहले गाजा और फिर ईरान पर इजरायल और अमेरिका के हमलों पर भारत की चुप्पी पर सवाल उठाए. उन्होंने एक अखबार में प्रकाशित अपने लेख में कहा कि भारत को अपनी दीर्घकालिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धताओं से मुंह मोड़कर एक स्वतंत्र फिलिस्तीन और शांतिपूर्ण दो-राष्ट्र समाधान की बात करने से पीछे नहीं हटना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार ने पश्चिम एशिया में संघर्षों के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है.सोनिया गांधी ने कहा कि गाजा में इजरायल का क्रूर अभियान और अब ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद भारत का मौन,हमारे नैतिक और कूटनीतिक मूल्यों के प्रति उपेक्षा है. 

अखिलेश यादव का हमला

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार की विदेश नीति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमारी विदेश नीति भ्रामक हो गई है. दुनिया देख रही है कि बुरे वक्त में हम किसके साथ खड़े हैं. अगर आप अपने उस दोस्त के साथ खड़े नहीं हो,जिसने कभी आपका भला किया तो तो यह विदेश नीति में बहुत बड़ा धोखा है.

लेफ्ट पार्टियों की निंदा

ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद भारत की प्रमुख लेफ्ट पार्टियों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी मुक्ति), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और फॉरवर्ड ब्लॉक ने एक संयुक्त बयान जारी कर हमले की कड़ी निंदा की. जारी बयान में कहा गया कि यह ईरानी संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन है. इसके परिणामस्वरूप पश्चिम एशिया में अस्थिरता बढ़ेगी और वैश्विक शांति को गंभीर खतरा होगा.

लेफ्ट पार्टियों ने कहा कि अमेरिकी हमले से संघर्ष की संभावना बढ़ेगी.जिसका असर विशेष रूप से भारत जैसे देशों पर पड़ेगा,जो तेल आयात और प्रवासी श्रमिकों के अवसरों के लिए पश्चिम एशिया पर अत्यधिक निर्भर हैं. उन्होंने सरकार से अमेरिका और इजरायल के समर्थन वाली विदेश नीति को छोड़कर युद्ध रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों में शामिल होने का आग्रह किया.

ओवैसी ने बताया अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-खल्क (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी अमेरिकी हमले की आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और एनपीटी का उल्लंघन है. इसके अलावा यह अमेरिकी संविधान का भी उल्लंघन है क्योंकि इसमें कहा गया है कि कांग्रेस (देश की संसद) की अनुमति के बिना देश युद्ध में नहीं जा सकता.

JDU और RJD ने भी जताया विरोध

जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि अमेरिका का पश्चिमी एशिया के युद्ध में कूदना दुर्भाग्यपूर्ण है. बड़े राष्ट्र के रूप में, उन्हें शांति की कोशिश करनी चाहिए थी, न कि सैन्य कार्रवाई करनी चाहिए. यूएनएससी को तुरंत बैठक बुलानी चाहिए और अमेरिकी कार्रवाई की निंदा करनी चाहिए. वहीं राजद के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने कहा अमेरिका द्वारा ईरान पर किया गया यह आक्रमण न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देता है,बल्कि यह वैश्विक शांति के लिए भी गंभीर चुनौती है. इस तरह की एकतरफा सैन्य कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है और दुनिया को एक बड़े टकराव की ओर धकेल सकती है.

महबूबा मुफ्ती की आलोचना

जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारत की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत को लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मामलों में ऐतिहासिक और सैद्धांतिक भूमिका निभाने वाले देश के रूप में देखा जाता है. लेकिन अब यह हमलावर के साथ खड़ा होता दिख रहा है,जो शर्मनाक है.