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चुनावी साल में तेजस्वी यादव का नया दांव, CM नीतीश कुमार को पत्र लिख की बड़ी मांग

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  • Last Updated: June 5, 2025 17:11:36 IST

TEJASHWI YADAV : केंद्र सरकार द्वारा जनगणना कराने की तारीख की घोषणा के बाद बिहार की सियासत में एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है.बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर राज्य में आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 85 प्रतिशत करने की मांग की है. तेजस्वी ने अपनी मांग को जायज बताते हुए इसे जाति आधारित सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर आधारित सामाजिक न्याय का अगला कदम बताया है.

तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में कहा है कि महागठबंधन सरकार के दौरान 2023 में बिहार में जाति आधारित गणना कराई गई थी, जिसके आधार पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए कुल 65% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया था. इस प्रकार राज्य में कुल आरक्षण की सीमा 75% तक पहुँच गई थी. अब तेजस्वी यादव ने इस आरक्षण सीमा को बढ़ाकर 85% करने और उसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है. उन्होंने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पिछले 35 वर्षों से 69% आरक्षण लागू है और उसे 9वीं अनुसूची में रखा गया है. बिहार में भी इसी तर्ज पर एक सर्वदलीय समिति गठित कर विशेष सत्र बुलाया जाए, ताकि नया आरक्षण विधेयक पास कर केंद्र सरकार को भेजा जा सके.

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जाति आधारित जनगणना के बाद 85% आरक्षण की वकालत

तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यदि राज्य सरकार ऐसा नहीं करती है तो यह माना जाएगा कि वह जानबूझकर इस मुद्दे को टाल रही है. उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन सरकार के कार्यकाल में लाखों नौकरियां दी गई थी और लगभग 3.5 लाख नियुक्तियां प्रक्रियाधीन थीं. लेकिन आरक्षण सीमा को लेकर स्पष्टता नहीं होने के कारण दलित, आदिवासी, पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों को इन अवसरों का पूरा लाभ नहीं मिल सका.   उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि बढ़ाए गए 16 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण को प्रभावी नहीं किया गया तो इससे सामाजिक न्याय और समानता की अवधारणा को गहरी चोट पहुंचेगी.

तीन सप्ताह के भीतर मुद्दे पर कार्रवाई की मांग

तेजस्वी यादव ने अंत में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि तीन सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर कार्रवाई की जाए और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक न्याय से जुड़ा है, इसलिए सर्वदलीय समिति का गठन अत्यंत आवश्यक है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पर क्या रुख अपनाते हैं और केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना के आधार पर बढ़े हुए आरक्षण के प्रस्ताव को किस रूप में स्वीकार करती है.