Uttar Pradesh News : बनारस, जिसे काशी और वाराणसी के नाम से जाना जाता है और भारत की धार्मिक राजधानी कही जाती हैं। यह नगर न केवल गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण पवित्र माना जाता हैं, बल्कि यहां मौजूद सैकड़ों मंदिरों के कारण भी श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। बनारस की गलियों, घाटों और मंदिरों में एक अनोखी आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होती हैं। यहां के मंदिर हजारों वर्षों से धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहे हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर शिव भक्तों के लिए सबसे बड़ा तीर्थ मंदिर हैं। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। यह मंदिर कई वर्षों पुराना है और मुगलकालीन इतिहास में इसे कई बार तोड़ा गया और फिर से बनाया गया। वर्तमान में मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1777 में करवाया था। 2021 में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ, जिससे यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी प्रसिद्ध हुआ हैं।
मां अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना जाता हैं। यह मंदिर काशी विश्वनाथ के ठीक सामने स्थित हैं। मान्यता है कि भगवान शिव को भी अन्न मां अन्नपूर्णा से ही प्राप्त होता है। मंदिर में रोजाना हजारो भक्त भोजन ग्रहण करते हैं, जहां मुफ्त प्रसाद और अन्न दान की व्यवस्था होती हैं।
यह मंदिर संकटों को हरने वाली देवी को समर्पित हैं। विशेषकर महिलाएं यहां अपने परिवार की रक्षा और मंगल के लिए पूजा करती हैं। नवरात्रि के दिनों में यहां विशेष भीड़ होती है और भक्त इच्छा मांगते हैं।
काल भैरव को काशी का “कोतवाल” यानी रक्षक माना जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति यदि बनारस में रहना चाहता है, तो पहले काल भैरव की अनुमति लेनी होती हैं। भक्त यहां ‘भैरव मदिरा’ (शराब) भी अर्पित करते हैं, जो इस मंदिर की विशेष परंपरा हैं।
इस मंदिर का नाम “मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले” शिव के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहां का जल विशेष रूप से औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता हैं। यह जल भक्त अपने घरों में रोग मुक्ति के लिए ले जाते हैं।
यह मंदिर भक्त श्री हनुमान को समर्पित हैं। कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने स्वयं इस मंदिर की स्थापना की थी। यहां हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ होता हैं। यह मंदिर बनारस की सुरक्षा और शक्तिपूजन का प्रतीक हैं।
यह मंदिर अन्य मंदिरों से भिन्न है क्योंकि इसमें देवी-देवताओं की मूर्तियाँ नहीं, बल्कि भारत का संगमरमर से बना हुआ उभरा हुआ नक्शा स्थापित हैं। इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रभक्ति को समर्पित हैं और यह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पास स्थित हैं।
अन्य प्रमुख मंदिर
बनारस के मंदिर केवल ईंट-पत्थर की इमारतें नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आस्था का रूप हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु केवल दर्शन नहीं करते, बल्कि आत्मा की शांति, ज्ञान की प्राप्ति और मोक्ष की कामना के साथ लौटते हैं। बनारस की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक इन प्रमुख मंदिरों के दर्शन न हो जाएं। यही कारण है कि बनारस को “मंदिरों की नगरी” और “मोक्ष नगरी” के रूप में पूजा जाता है।
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