Char Dham Yatra: भारत में चार धाम यात्रा को सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा माना जाता हैं। यह यात्रा उत्तराखंड के चार पवित्र तीर्थ स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को शामिल करती हैं। इसे ‘छोटा चार धाम’ भी कहा जाता है क्योंकि भारत में एक और बड़ा चार धाम भी हैं जिसमें बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम शामिल हैं।
यमुनोत्री- यह यमुना नदी का शुरुआती जगह हैं। यमुना देवी को मृत्यु से रक्षा करने वाली देवी माना जाता हैं। यहां पर श्रद्धालु गर्म कुंड में स्नान करके दर्शन करते हैं।
गंगोत्री- गंगा नदी का शुरुआती स्थान यहीं से माना जाता हैं। गंगोत्री मंदिर में मां गंगा की पूजा होती हैं। और गंगा को पापों का नाश करने वाली नदी भी माना जाता हैं।
केदारनाथ- यह भगवान शिव का एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग स्थल हैं। यहां पहुंचने के लिए 16 से 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती हैं। यह सबसे कठिन हैं लेकिन सबसे अलग अनुभव करने वाला धाम हैं।
बद्रीनाथ- यह भगवान विष्णु का मंदिर हैं। बद्रीनाथ को मोक्ष धाम कहा जाता है। यहा आकर भक्तों की आत्मा को शांति मिलती हैं।
चार धाम यात्रा को जीवन की चार तत्वों से जोड़ा जाता हैं। यमुनोत्री (मन) शुद्ध विचारों की शुरुआत। गंगोत्री (शरीर) आत्मा की पवित्रता। केदारनाथ (भावना) भक्ति और तपस्या का भाव। बद्रीनाथ (बुद्धि) आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर। ऐसा माना जाता हैं कि जो व्यक्ति यह चारों धाम की तीर्थ यात्रा कर लेते हैं, उसे जीवन मरने के चक्र से मुक्ति मिलती हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
यात्रा के दौरान बर्फ से ढकी पहाड़ियां, नदी-झरने, और हरे-भरे जंगल मन को मोह लेते हैं। जगह-जगह पर लंगर, रुकने की व्यवस्था, और मेडिकल सुविधाएं मौजूद होती हैं।यात्रा के लिए उत्तराखंड सरकार ने रजिस्ट्रेशन जरुरी किया है ताकि सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित की जा सके।
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सबसे पहले उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट या ऐप पर रजिस्ट्रेशन करें। यात्रा के लिए मई से अक्टूबर का समय उपयुक्त होता है हेलिकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध होती है, खासकर बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों के लिए। हर धाम पर धर्मशालाएं, होटल और टेंट की सुविधा रहती है। चार धाम यात्रा केवल शरीर को नहीं, आत्मा को मजबूत बनाती हैं। चाहे आप भगवान में आस्था रखते हों या नहीं, एक बार यह यात्रा करने से आपका नजरिया और जीवन जीने का तरीका जरूर बदल जाएगा।