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क्रिकेटर रिंकू सिंह की सरकारी नौकरी में शैक्षिक योग्यता पर उठे सवाल, हाईस्कूल भी पास नहीं

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inkhbar News
  • Last Updated: June 27, 2025 12:14:01 IST

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में एक नया विवाद खड़ा हो गया है जब फेसम क्रिकेटर रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के पद पर नियुक्त किए जाने की घोषणा हुई है। इस नियुक्ति के साथ ही उनकी शैक्षिक योग्यता को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। मुख्य चिंता का विषय यह है कि बीएसए पद के लिए स्नातकोत्तर (पीजी) की डिग्री आवश्यक होती है और इसकी भर्ती उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से संपन्न होती है। परंतु रिंकू सिंह की शैक्षिक स्थिति देखें तो वे अभी तक हाईस्कूल की परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं कर पाए हैं।

विशेष नियमावली के तहत संभव हुई नियुक्ति

इस स्थिति में एक स्वाभाविक सवाल यह उठता है कि न्यूनतम शैक्षिक मानदंडों को पूरा न करने वाले व्यक्ति को इतने महत्वपूर्ण पद पर कैसे नियुक्त किया जा सकता है। इसका उत्तर प्रदेश सरकार की अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता सीधी भर्ती नीति में छुपा है। इस विशेष नीति के अनुसार, प्रदेश के वे खिलाड़ी जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक अर्जित किए हैं, उन्हें सरकारी विभागों में प्रत्यक्ष नियुक्ति का अधिकार प्राप्त है। इसी नीति के अंतर्गत रिंकू सिंह सहित कुल सात खिलाड़ियों की नियुक्ति को मंजूरी प्रदान की गई है।

युवाओं को सरकारी विभागों से जोड़ना

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, इस प्रकार की नियुक्तियों का मूल उद्देश्य युवाओं को सरकारी विभागों से जोड़ना है। प्रसिद्ध और सफल खिलाड़ियों की उपस्थिति से न केवल विभाग की छवि में सुधार होता है, बल्कि वे विभागीय गतिविधियों के लिए प्रभावी ब्रांड एंबेसडर का काम भी करते हैं। सभी आवश्यक दस्तावेजों की जांच पूर्ण करने के बाद ही इस नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। विभागीय सूत्रों का मानना है कि ऐसी नियुक्तियां विभाग की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

सात साल के अंदर पूरी करनी होगी पढ़ाई

हालांकि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए प्रारंभिक नियुक्ति में शैक्षिक योग्यता की बाध्यता नहीं है, लेकिन उनके करियर की प्रगति के लिए निश्चित शैक्षिक मानदंड निर्धारित किए गए हैं। रिंकू सिंह को भी अपनी नियुक्ति के सात वर्षों के भीतर निर्धारित शैक्षिक अहर्ता पूरी करनी होगी। यदि वे इस आवश्यक शैक्षिक योग्यता हासिल नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें पदोन्नति के अवसरों से वंचित रहना पड़ेगा।