iran missing uranium story : ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पहले जाहिर पश्चिमी देशों की चिंताएं और गहरी हो गई हैं.खासकर अमेरिकी हमले के बाद से,अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) और खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि ईरान से लगभग 400 किलोग्राम वेपन-ग्रेड के करीब पहुंच चुके यूरेनियम का बड़ा हिस्सा रहस्यमय ढंग से गायब हो गया है. जानकारी के लिए बता दें कि यह वही यूरेनियम है जिसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए 60% तक एनरिच किया गया था.

अमेरिकी हमलों के बाद गायब हुआ यूरेनियम

गौरतलब है कि ईरान और इज़रायल के बीच जारी संघर्ष के बीच अमेरिका द्वारा किए गए ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हवाई हमले के कारण यह संकट और गहरा गया. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस मामले से जुड़े अमेरिका, इज़रायल और यूरोपीय देशों के दर्जनों वर्तमान और पूर्व अधिकारी मानते हैं कि हमले के बाद ईरान ने जानबूझकर अपने यूरेनियम स्टॉक को ऐसे स्थानों पर छिपा दिया है जहां IAEA की पहुंच मुश्किल हो.उनका मानना है कि अमेरिकी हमले ने ईरान को अपने संवेदनशील यूरेनियम स्टॉक को छुपाने या स्थानांतरित करने के लिए एक आदर्श मौका दिया जिसका उसने खुब फायदा लिया.

IAEA की प्रतिक्रिया

IAEA प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने अपने एक बयान में कहा है कि फोर्डो फैसिलिटी में कितनी क्षति हुई,इसका आकलन करना बेहद कठिन है. उन्होंने इस संभावना से इनकार नहीं किया कि वहां यूरेनियम संवर्धन के लिए इस्तेमाल होने वाली सेंट्रीफ्यूज मशीनें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस हमले में यूरेनियम पूरी तरह नष्ट हुआ या सुरक्षित निकाल लिया गया.

IAEA के मानकों के अनुसार ईरान के पास वर्तमान में कुल लगभग 9 टन संवर्धित यूरेनियम है.इसमें से 400 किलोग्राम उस स्तर तक एनरिच किया गया है, जो नौ परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए पर्याप्त माना जाता है.

अब क्या होगा?

मौजूदा हालात में पश्चिमी खुफिया एजेंसियां इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटी हैं कि यह संवर्धित यूरेनियम कहां गया.क्या यह हमला एक परदा था,जिसके पीछे ईरान ने अपने हथियार कार्यक्रम को और गहराई से छिपा दिया? IAEA ने संकेत दिए हैं कि वे जल्द ही ईरान से इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट और सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए जांच की मांग करेंगे.हालांकि राजनीतिक और तकनीकी अड़चनों के चलते यह कार्य लंबा और संघर्षपूर्ण हो सकता है.

परमाणु अप्रसार को लेकर दुनिया भर में कार्यरत विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस संवर्धित यूरेनियम का एक छोटा हिस्सा भी गुम रहता है या हथियार निर्माण की दिशा में चला जाता है,तो यह वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.