meaning of the absence of Putin and Xi Jinping in the BRICS summit
BRICS summit : अलग-अलग आंतरिक और बाहरी जंग का सामना कर रही दुनिया कई खेमों में बटी हुई है. इसी बंटवारे के एक कोने में एक संगठन है जिसका नाम है ब्रिक्स,आर्थिक सहयोग, व्यापार और विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए दुनिया के पांच उभरती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का यह समूह कई मायनों दूसरे समूह से अलग है. ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक साथ बड़े मंच पर एकजुट होना न सिर्फ इस देश के लिए बल्कि दुनिया के दूसरे देशों के लिए फायदे का सौदा है…खैर बात करते है इसके वर्तमान पहलुओं पर…ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आज (7 जुलाई) से शुरू हो रहा ब्रिक्स (BRICS) समूह का शिखर सम्मेलन चर्चा में है. चर्चा की वजह है इसके प्रमुख सहयोगियों का उपस्थित ना होना….
एक तरफ जहां रियो डि जेनेरियो में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में कई नेता हिस्सा नहीं ले रहे हैं. प्रमुख नामों में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग,रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं तो दूसरे तरफ खबर है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में जब BRICS के विस्तार के बाद 10 सदस्यीय संगठन के साथ वैश्विक मंच पर खुद को एक सशक्त विकल्प के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है और तब शिखर सम्मेलन से बड़े नामों का उपस्थित न रहने से यह सम्मेलन कई मायनों में खास हो जाता है…
एक दशक लंबे शासन में यह पहली बार है जब चीनी राष्ट्रपति इस सालाना ब्रिक्स बैठक में शामिल नहीं हो रहे. इसके पीछे जो वजह सामने आ रही है उसमें दो कारण अहम हैं. पहला है चीन की घरेलू आर्थिक चुनौतियां और दूसरा उसकी रणनीतिक प्राथमिकताएं…एक तरफ जहां चीन की धीमी होती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दे जिनपिंग के लिए परेशानी का सबब है वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड वॉर और नीति-निर्धारण पर चीन का फोकस बढ़ाता दिख रहा है. जिनपिंग के बदले प्रधानमंत्री ली कियांग द्वारा इस वैश्विक मंच पर चीन का प्रतिनिधित्व करने को लेकर जानकार कहते है कि यह ब्रिक्स में चीन की रुचि कम होने का संकेत नहीं है,बल्कि यह एक रणनीतिक निर्णय है.
वहीं इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी व्यक्तिगत रूप से हिस्सा नहीं लेंगे. हालांकि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जरूर जुड़ेंगे.रूस के इस फैसले के पीछे जो वजह है ये कि दरअसल ब्राजील इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) का सदस्य है और ICC ने पुतिन पर यूक्रेन युद्ध अपराधों के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी किया हुआ है. ऐसे में यदि व्लादिमीर पुतिन ब्राजील आते हैं तो ब्राजील को उन्हें गिरफ्तार करना होगा. इसलिए रूस ने अपना बीच का रास्ता अपनाया.
इधर भारत के प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने रियो डि जेनेरियो पहुंच गए है. जानकारों की मानें तो शी और पुतिन की अनुपस्थिति भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कूटनीतिक बढ़त का मौका है. व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले मोदी चंद शीर्ष नेताओं में हैं. इस दौरान वो ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुईज इनेसियो लूला डा सिल्वा के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. पीएम मोदी के सम्मान में 8-9 जुलाई को ब्रासीलिया में राजकीय यात्रा (State Visit) भी आयोजित की गई है..इन सब के बीच भारत ब्रिक्स में एक स्थिर और लोकतांत्रिक नेतृत्व की छवि बना सकता है.
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